Story for LIC जीवन लक्ष्य PLAN-जीवन लक्ष्य
पापा लक्ष्य पर ध्यान क्यों नही दिया!
प्यारे पापा,
पापा आपको भगवानजी के घर जाकर पूरा एक साल हो गया! आज मा ने आपकी फोटो पर घर में ही बनाया मोंगरे के फूलों का हार पहनाया क्योंकि हार खरीदने के लिए घर में पैसे ही नही थे!
पापा देखते-देखते एक साल हो गया, आपकी याद ना आई हो ऐसा एक दिन भी नही गया! पापा हमारा प्यार भरा सुखी घरोंदा ग़रीबी से लड़ते-लड़ते टूट गया है..
सच, कितने अच्छे दिन थे वो, जब आप कारखाने में नौकरी करते थे, आपका वेतन भी अच्छा था, एक बैंक से क़र्ज़ लेकर आपने घर भी बनाया था, हम सब हर साप्ताह बड़े होटल में ले जाते थे! अच्छी अच्छी चॉकलेट, महँगे महँगे आइटम हमे दिलवाते थे! आपने मुझे महँगे महँगे प्राइवेट इंग्लीश स्कूल में डाला था, उस स्कूल की फीस 1,00,000 सालाना थी! पर आप डगमगाए नही| उस वक़्त मा बहुत गुस्सा हुई थी पर तब आपने मा को समझाया कि किसके लिए कमाता हुं?
सच में पापा मुझे आप पर गर्व था| और फिर वो काला दिन भी आया, उस दिन आप कारखाने में आपके साथ काम करने वाले बुद्धिसागर काका की गाड़ी में उनके साथ नाइट ड्यूटी करने के लिए निकले, उन्ही बुद्धिसागर काका की बेटी मेरे साथ ही महँगी अँग्रेज़ी स्कूल मेरी ही कक्षा में पढ़ती थी|
उस रात 2 बजे पुलिस अंकल ने हमारे घर का दरवाज़ा खटखटाया और दरवाज़ा खोलते ही दुर्भाग्य हमारे घर में घुस आया था| उस रात ड्यूटी पर जाते समय हुई दुर्घटना में आप और बुद्धिसागर काका दोनो की मृत्यु की खबर पुलिस अंकल ने सुनाई थी| मा तो दरवाज़े पर ही बेहोश हो गई थी, फिर सब लोग घर आए, अंतिम संस्कार हुआ, तेरहवी का भोजन हुआ और एक हफ्ते बाद माँ ने मेरा नाम उस महँगे अँग्रेज़ी स्कूल से कटवा लिया था और कहा था कि अब हम 1,00,000 रुपये सालाना फीस नही भर सकते हैं| पर अब माँ को समझने के लिए आप कहाँ थे………
और फिर, माँ का कहना भी ठीक ही था, अब माँ ने भी कहीं काम पर जाना शुरू कर दिया है, लेकिन उससे भी तो सिर्फ़ 2 वक़्त का भोजन ही हो पता है, आपका बनाया प्यारा घर भी हमें बैंक के लिए क़र्ज़ चुकाने के लिए बेचना पड़ा और अब हम दो कमरों वाले किराए के घर में रहने लगे हैं|
पापा, कहाँ वो मेरी पुरानी स्कूल और कहाँ ये सरकारी स्कूल ? वहाँ टिप टॉप स्कूल यूनिफॉर्म, यहाँ फटी फ्रॉक, वहाँ बैठने के लिए डेस्क थी बढ़िया…… यहाँ फर्श भी गंदा एवं घटिया, वहाँ खूब सारे थे फॅन अब यहाँ पसीने से भीगती गर्दन……….
एक दिन बुद्धिसागर काका की बेटी मिली थी, पापा उसके पापा भी आपके ही साथ मौत के घर गये पर वो तो अब भी उसी महँगी स्कूल में पढ़ती है. माँ ने उसके घर पूछताछ की थी तब पता चला की उसकी सालाना 1,00,000 रुपये फीस LIC ने भर दी है. उसी दिन माँ ने LIC ऑफीस जाकर पता किया, की क्या मेरी भी फीस LIC देगी? ऐसा पूछने पर वहाँ के चालक ने कहा की बुद्धिसागर काका ने “जीवन लक्ष्य” नाम की एक 10,00,000 रुपये की पॉलिसी ली थी और इसीलिए LIC हर साल उसकी 1,00,000 सालाना फीस अगले 20 साल तक भरेगी और दुर्घटना लाभ की वजह से LIC की तरफ से काका के परिवार को उसी वक़्त 20,00,000 रुपये मिले, उसी से उन्होने बॅंक से लिया 5,00,000 रुपये का personal loan ka क़र्ज़ चुकाया और 15,00,000 रुपये LIC की पेन्षन पॉलिसी में डाले, अब उन्हे हर महीने घर चलाने की पेन्शन मिलती है, पर बुद्धिसागर काका की तरह आपने जीवन लक्ष्य पॉलिसी नही ली और इसीलिए LIC की तरफ से मेरी फीस नही भारी जा सकती|
पापा मेरी सहेली मुझे हमेशा कहती थी की उसके पापा उन्हे होटल नही ले जाते, महँगी चॉकलेट खिलोने नही दिलाते| उस वक़्त मैं उसे चिड़ाती थी और आप पर मुझे गर्व होता था और वो उसके पापा पर गुस्सा होती थी, पर वो अब ये सब अभिमान से कहती है और मैं अब दुखी हूँ……. ग़रीबी की वजह से नही, पर नादानी में की गई उन ग़लतियों की वजह से|
पापा, आप उस वक़्त हमे होटलिंग नही कराते महँगे चॉकलेट आइस-क्रीम नही दिलाते तो चलता लेकिन आपको जीवन लक्ष्य पॉलिसी ज़ुरूर लेनी चाहिए थी| आर्थिक नियोजन की तरफ ध्यान देना चाहिए था, लेकिन पापा आप दुखी मत होना, यह सब हमने भाग्य समझ कर स्वीकार कर लिया है, आज बुद्धिसागर काका की फोटो पर बाज़ार से लिया बढ़िया वाले गुलाबों का हार था और माँ ने आपकी फोटो पर पास के प्लॉट में लगे मोंगरे के फूलों का हार पहनाया था, वो हार बनाते वक़्त कई बार माँ की उंगलियों में सुई चुबी लेकिन खून नही निकला……
डॉक्टर अंकल कहते हैं माँ के शरीर में खून की कमी हो गई है माँ आज दिनभर आपकी याद में बहुत रोई है|
मुझे बस एक ही बात का बहुत बुरा लग रहा है की माँ ने जो मोंगरे का हार आपकी फोटो पर पहनाया था वो दोपहर में ही कुम्हला गया लेकिन बुद्धिसागर काका की फोटो का गुलाबों वाला हार शाम तक ताज़ा था|
आपकी प्यारी बेटी..
B.N.PANCHOLI
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